*●●माता-पिता के प्रति वफादार रहे।●
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ऐसा फैसला आप तभी ले सकते हो जब घर की संपत्ति पूर्ण रूप से आपके नाम हो जैसा इस वीडियो में बताया गया है , आज समय पहले जैसा नही रहा जब माता पिता भगवान समान माने जाते थे उनकी पूजा, सेवा दिलो जान से की जाती थी जो सभ्य संस्कारों की देन थी लेकिन आज ज़माने के साथ वो संस्कार भी विलुप्त होते नज़र आ रहे है क्योंकि इस का आकलन हम कुछ इस तरह से कर सकते है कि हमारे देश मे वृदाश्रम दिनो दिन बढ़ते जा रहे है और सोशल मीडिया पर ऐसे समझाईश भरे वीडियो आए दिन डाले जा रहे है जिससे पता चलता है, आज हमारी भारतीय संस्कृति को न जाने किस की नज़र लग गई जो ऋषि मुनियों वाले हमारे इस महान देश मे ऐसी कुछ नालायक संताने अपने बुजुर्गों भगवान तुल्य माता पिता को अपने स्वार्थ के खातिर अपने ही घरो में उनको अजनबी बना रहे है या उन्हें वृदाश्रम तक पहुचाने में उतावले से नज़र आ रहे है।
बात कड़वी ज़रूर है लेकिन सत्य का आईना दिखाती भी नज़र आ रही है।
आपको दिखता है आपके बच्चे चाहे कितने भी सेवाभावी क्यो न हो पर ज़माने के हिसाब से उन पर कतई विश्वास न करे।
मेरी हर बुजुर्ग दम्पत्तियों से यही एक विनंती है आप अपनी जायदाद अपने नाम या अपनी पत्नी के नाम ही रहने दे जब तक वो अपने घरों में रह रहे है, यही एक हथियार है जो आपको अपने घरो में सम्मानीय ज़िन्दगी गुजारने में मदद करेगा।
आखिर में एक बात और बताता चलू विधि का विधान इस बारे में बहुत ओर बहुत सख्त व कठोर रहा है वो आपके हर कर्मो का हिसाब यही चुकता करवा कर ही अपने पास बुलायेगा।
अगर मेरे विचारो से आप सहमत हो तो इसे आपनो तक ज़रूर पहुँचाए। *✍️*
*लियाकत अली मुन्शी, जिला सवांददाता खुलासा टु डे न्यूज चैनल, रतलाम मध्यप्रदेश।*
*📲7974115442*
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