पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को संरक्षित कर संसद ने ये स्पष्ट कर दिया हे कि इतिहास और उसकी गलतिया का इस्तेमाल वर्तमान और आने वाले भविष्य को दबाने के लिए नहीं किया जा सकता
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- जब सबकुछ इतना साफ़ लिखा है तो फिर सर्वे और मस्जिद के नीचे मंदिर के दावे क्यों हो रहे हैं सुप्रिम कोर्ट ने लिखा है कि ये कानून 1991 के पीछे एक उद्देश्य है ये कानून हमारे देश के इतिहास और भविष्य के बारे मे हे इतिहास की गलतियों का सुधार लोग कानून को अपने हाथो मे लेकर नहीं कर सकते पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को संरक्षित कर संसद ने ये स्पष्ट कर दिया हे कि इतिहास और उसकी गलतिया का इस्तेमाल वर्तमान और आने वाले भविष्य को दबाने के लिए नहीं किया जा सकता सुप्रिम कोर्ट को चाहिए के उपासना स्थल के बारे मे भी जानकारी फिर सार्वजनिक करे 2019 के babri के जजमेंट में सुप्रिम कोर्ट ने 1991 के एक्ट की जानकारी लाइन बाइ लाइन से चर्चा की है कोर्ट ने कहा दो मकसद को पूरा करने के लिए ये कानून बनाया गया है पहला किसी भी धार्मिक स्थल के रूपांतरण पर रोक लगाई गई इसका सीधा मतलब हे कि अगर वो मस्जिद हे तो उसे मंदिर नहीं कर सकते अगर मंदिर हे तो मस्जिद नहीं कर सकते दूसरा सबसे बड़ा मकसद के 15 अगस्त 1947 को जो किरदार हे धार्मिक स्थलों को अब नहीं बदलेगा..कानून के सेक्शन 3 मे लिखा है कि किसी भी धर्म के पूजा स्थल को उसी धर्म के किसी दूसरे सम्प्रदाय या किसी दूसरे धर्म के पूजास्थल मे नही बदला जा सकेगा इसकी बात कही गई हे…सबसे बड़ी बात ये कहीं गई है इस सन्दर्भ में पूजास्थल या प्लेस ऑफ varship की सबसे व्यापक परिभाषा दी गई है ये परिभाषा सभी धर्मों और सम्प्रदायों के सभी सार्वजनिक स्थलों को शामिल करती हैं कोर्ट ने babri मस्जिद जजमेंट मे कहा है कि posetive जिम्मेदारी banti हे कि जो 15 अगस्त 1947 को जो जजमेंट था उसे कायम रखा जाए इसलिए 1991 के कानून में कहा गया के इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए इस तरह के मुकदमे रद्द किए जाते हैं जो पहले से चल रहे थे और अब age मुक़दमे नहीं होंगे सूत्र…
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