आत्मजन की आस्था/ भावनाओं / विचारों का संरक्षण व सम्मान “
😊 Please Share This News 😊
|
” सकारात्मक चिंतन”
😞😞😞😞😞
आत्म अवलोकनार्थ।
सम्मानीय आत्मजन,
शुभ दिवस ।
“आत्मजन की आस्था/ भावनाओं / विचारों का संरक्षण व सम्मान “
++++++++++++
मनुष्य के निकृष्टतम अवगुणों में एक अवगुण उसके द्वारा साशय या ज्ञानपूर्वक या उपेक्षापूर्वक नकारात्मक अंहकार से ग्रस्त होकर या अज्ञानतावश अपनो व दूसरों अर्थात आत्मजन की भावनाओं, विचारों व आस्था को अपने अवांछित,अमर्यादित व अनावश्यक कार्य, व्यवहार व आचरण से आहत करना है। ऐसा दुष्कृत्य मानवीय गरिमा व गौरव के प्रतिकूल होकर आदर्श मनुष्य व आदर्श समाज की ईश्वरिय योजना के भी प्रतिकूल है । इसके साथ ही वैचारिक व क्रियात्मक स्तर ऐसा कार्य,व्यवहार व आचरण समुद्र में पत्थर फेंकने के समान है। हमें यह ज्ञात नहीं होता है कि पत्थर समुद्र में कितनी गहराई तक जाऐगा। इसी प्रकार हमे यह ज्ञात नहीं होता है कि हमारा ऐसा कार्य,व्यवहार व आचरण हमारे आत्मजन की भावनाओं,विचारों व आस्था को किस गहराई तक आहत कर सकता है।इस प्रकृति के प्रसंग प्रायः हमें व्यवहारिक जीवन में घटित होते रहते हैं ,जो हमारे व्यक्तिगत,पारिवारिक व सामाजिक जीवन में सद्भावना व सौहार्द्र को प्रतिकूलतःप्रभावित कर कभी कभी अपूर्णीय क्षति कारित करने का कारक व कारण बनते हैं।
आईऐ, इस अवगुण से मुक्त होने के लिऐ मानवीय मूल्यों से संस्कारित टीकाकरण अभियान का हिस्सा बन कर समस्त मानवता विरुद्ध अवगुणों के विरुद्ध स्वयं में प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर समस्त आत्मजन की सम्यक्,
सकारात्मक व सदभावनापूर्ण भावनाओं,विचारों व आस्था का संरक्षण व सम्मान निर्भीकता व निष्ठा से करे।
दिव्य “भारती”
💐💐💐💐💐
Regards:Iqbal Khan Gauri,Retired District Judge,M.P.
Now:Law adviser and Human duties Activist,Ujjain.
🙏🙏❤️❤️🫂🫂🤝🤝🌹🌹🌹🌹🌹🌹
व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें |