न्यायालय ने नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक की भर्ती के लिए दिल्ली का निवासी होने की अनिवार्यता बरकरार रखी।
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नयी दिल्ली, 24 मई
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार के उस आदेश की वैधता को बरकरार रखा है, जिसमें नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक बनने के लिए दिल्ली का निवासी होना अनिवार्य किया गया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली सरकार के राजस्व सचिव एवं संभागीय आयुक्त द्वारा जारी आदेश के खिलाफ दायर एक वकील की याचिका को खारिज कर दिया।, पीठ ने कहा कि नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों से किसी भी आपदा या दुश्मन के हमले के मामले में सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाला होने की उम्मीद की जाती है और इसलिए इस तरह का पात्रता मानदंड अनुचित नहीं है।
इसने यह भी कहा कि अधिकारी नामांकन के लिए उम्मीदवार के निवास स्थान के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के लिए ‘‘निश्चित रूप से सक्षम’’ हैं और यह शर्त संविधान का उल्लंघन नहीं करती है।
पीठ ने 22 मई को पारित आदेश में कहा, ‘‘एक व्यक्ति जो दक्षिण भारत में रहता है, उसे दिल्ली का भूगोल नहीं पता है और यदि उसे नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक के रूप में भर्ती किया जाता है और किसी आपात स्थिति के मामले में वह उस स्थान पर पहुंचने के बजाय दिल्ली में गुम हो जाएगा, जहां आपात हालात है।’’
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